IDinsight क्लस्टर कोर्डिनेटर, उषा शर्मा और विष्णु बाजपेयी हिमाचल प्रदेश, भारत में एक सर्वेक्षक प्रशिक्षण आयोजित करते हुए। @मनीष दुबे/IDinsight
डेवलपमेंट सेक्टर में अधिकांश शोध संस्थान व गैर सरकारी संगठनों ने टीम के सदस्यों के बीच एक स्वस्थ लिंगानुपात बनाये रखने के लिए काफी प्रयास किए हैं। भारत में फील्ड मैनेजमेंट में लीडरशिप स्तर पर महिलाओं की सहभागिता अभी भी बहुत कम है और इस असमानता को दूर करने के लिए सभी डेवलपमेंट सेक्टर के संगठनों की तरफ़ से महत्वपूर्ण कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। एक सर्वेक्षक से लेकर फील्ड मैनेजर तक – फील्ड मैनेजमेंट में लीडरशिप की भूमिका निभाने का महिला उम्मीदवारों को समान अवसर मिले इसके लिए ऐसी कई प्रणालियाँ और प्रक्रियाएँ हैं जिन्हें संस्थाओं द्वारा प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय इस महत्वपूर्ण उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए लागू किया जा सकता है।
इस लेख में, मैं उन कारणों को साझा कर रहा हूँ कि महिलाओं को फ़ील्ड में प्रतिनिधित्व करना क्यों महत्वपूर्ण है और साथ ही यह लेख सुझाव भी देता है कि जो संस्थान फ़ील्ड नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने चाहते हैं, उनके लिए इस लेख में दिए गए कदम कारगर साबित हो सकते है।
डेवलपमेंट सेक्टर में शोध संस्थान व NGO’s महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण से जुड़े व्यापक कार्य करते हैं। अक्सर प्रोग्राम व योजनाओं पर अध्ययन, निगरानी और मूल्यांकन के माध्यम से अपना सार्थक योगदान देते हैं। इसी प्रकार, जब हम फ़ील्ड की गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी के बारे में सोचते हैं तो उसी दृष्टिकोण को अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है।
हाल ही में, हमने (IDinsight) एक प्रोजेक्ट में लगभग 3000 महिला लाभार्थीयों के साथ सर्वेक्षण किया। इस प्रोजेक्ट में डेटा कलेक्शन के लिए, हमने लगभग 200 महिला सर्वेयर को साथ काम पर रखा और उनमे से 18 महिलाओं को टीम लीडर के रूप में अवसर दिया। इस प्रोजेक्ट में फील्ड मैनेजमेंट की नेतृत्व की भूमिका में और भी अधिक महिलाओं को स्थापित करने की हमारी मंशा थी लेकिन परियोजना की समय सीमा कम होने कारण हम ऐसा नहीं कर पाए।
हालाँकि इसमें कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा, चूँकि महिला और पुरुष सदस्यों का मिश्रण था इसलिए हर एक स्तर पर असहजता देखने को मिली जैसे कि सर्वेक्षक, समन्वयक, फील्ड मैनेजर के स्तर पर इत्यादि विशिष्ट उदाहरण के लिए, डेटा संग्रह के दौरान मासिक धर्म/स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करने वाली एक महिला सर्वेक्षक अपनी स्थिति टीम लीडर को बताने में झिझक रही थी क्योंकि टीम लीडर पुरुष था। बातचीत में देरी के कारण चिकित्सा सहायता लेने में देरी हुई, और उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया, जिससे वह कुछ दिनों तक बीमार रही। इस घटना के बाद, हमने विशेष रूप से महिला टीम लीडर्स और सर्वेक्षकों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारी टीम की महिलाओं के पास व्यक्तिगत / संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक सुरक्षित स्थान हो – चाहे टीम लीडर किसी भी लिंग का हो।
संस्थानो के द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां
भारत में नियोक्ता अक्सर इस चुनौती का सामना करते हैं कि फ़ील्ड मैनेजमेंट नेतृत्व पद के लिए भर्ती करते समय पुरुष उम्मीदवारों के मुक़ाबले महिला उम्मीदवार कम अनुभवी होने के साथ उमीदवारों की संख्या भी बहुत कम होती है। इस चुनौती से निजात पाने के लिए व प्रशिक्षित और अनुभवी या थोड़ा कम अनुभवी महिला उम्मीदवारों का एक संग्रह (पूल) बनाने के लिए, सबसे पहले महिलाओं को नेतृत्व के शुरुआती स्तर (जैसे टीम लीडर) के पद पर अवसर प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है।
नियोक्ताओं के मन में यह धारणाएँ भी हो सकती हैं कि महिला उम्मीदवारों को फ़ील्ड में पुरुषों की तुलना में अधिक सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ता है। तथा महिलाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने में अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है या वे दूरस्थ स्थानों में काम करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं।
दूसरा कारण: भर्ती प्रक्रिया के लिए कम समय (समय और बजट की बाधाओं के कारण) पर पूरा करने की आवश्यकता होती है, तो इसलिए प्रोजेक्ट टीम को पूरी तरह अनुभवी सर्वेक्षकों को काम पर रखना और प्रशिक्षित करना आसान और तेज होता है। इसके कारण आमतौर पर ज़्यादा पुरुष ही भर्ती हो पाते हैं।
इन्हीं कारणो की वजह से नियोक्ताओं में यह विश्वास बन जाता हैं कि पुरुष लीडर फ़ील्ड मैनेजमेंट के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं और महिला सर्वेक्षणकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतरिक्त आवश्यकता होती हैं, जिससे महिला नेतृत्व की मांग कम हो जाती है।
सर्वेयर(फील्ड टीम)-पक्ष की चुनौतियां
अभी तक महिलाओं और पुरुषों दोनों सर्वेक्षणकर्ताओं ने ज्यादातर पुरुषों को फील्ड मैनेजमेंट में लीडरशिप की भूमिकाओं में देखा है, इस धारणा के कारण विशेष रूप से कम अनुभवी महिला उम्मीदवारों में आत्मविश्वास और आत्म-संदेह की कमी के कारण महिला उम्मीदवार खुद को ऐसी भूमिकाओं से जोड़ने में विफल रहती हैं।
हमारे (IDinsight) सीनियर फील्ड मैनेजर, लिपिका बिस्वाल ने साझा किया कि किस तरह से पुरुष प्रधान फील्ड मैनेजमेंट की धारणा के कारण जब एक साथ महिला व् पुरुष लीडर फील्ड टीम का प्रबंधन और नेतृत्व कर रहे हो तब सर्वेयर टीम के द्वारा किये गए भेदभाव का उदाहरण-
“मैंने ऐसी परिस्थितियों का अनुभव किया है जिसमें यदि एक महिला और पुरुष फील्ड मैनेजर एक साथ एक प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं, तो फील्ड टीम एक पुरुष फील्ड मैनेजर को रिपोर्ट करना ज्यादा पसंद करती है बजाय मेरे” – IDinsightसीनियर फील्ड मैनेजर, लिपिका बिस्वाल
इस तरह के भेदभाव अक्सर महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं से पीछे हटने के लिए प्रेरित करते है, क्योंकि जब वे इन चुनौतियों का सामना करती हैं तो उनके पास सलाह लेने के लिए व् देखने या उनकी तरह बनने के लिए अन्य महिला रोल मॉडल नहीं मिल पाती।
क्या हम भी कभी लीडरशिप (ज़िला व राज्य कोऑर्डिनेटर) भूमिका में आ सकते है या ज़्यादातर सिर्फ़ पुरुषों को ही इस सेक्टर में मौक़ा मिलता है? – महिला सर्वेयर
इसके लिए कम अनुभवी महिला उम्मीदवारों पर भी भरोसा करना चाहिए और उन्हें नेतृत्व की भूमिका में लाना चाहिए। क्योंकि अगर हम नेतृत्व में नींव (टीम लीडर स्तर पर से) मज़बूत करते है तो हम नेतृत्व के लिए सम्भावित उम्मीदवारों का एक अच्छा संग्रह बना सकते है। इसीलिए हमने SRB सर्वे में कुल सभी 18 महिलाओं को टीम का नेतृत्व करने का मौका दिया। जिसके परिणामस्वरूप बाक़ी महिला सर्वेयर में आत्मविश्वास पैदा हुआ और उनमे भी लीडरशिप में आने का मनोबल देखा गया।
हमारी परियोजनाओं में से, हमने एक परियोजना में डेटा कलेक्शन के लिए टीम लीडर बनने के लिए 18 महिलाओं का समर्थन किया व मौक़ा दिया, जिसने जिन महिलाओं ने लीडरशिप में आने का लक्ष्य रखा था उनके अनुभव को समृद्ध किया और अन्य महिला सर्वेक्षकों के आत्मविश्वास और मनोबल को बढ़ाया | एक अन्य परियोजना में, हमने क्लस्टर कोर्डिनेटर के रूप में एक पहली बार बड़े स्तर के डेटा कलेक्शन में काम करने जा रही महिला को नियुक्त किया और उन्हें तकनीकी और फ़ील्ड मैनेजमेंट कौशल में निरंतर परामर्श प्रदान किया। अब वर्तमान में वह IDinsight के साथ क्लस्टर समन्वयक के रूप में काम करती है और डेटा संग्रह का नेतृत्व करती है।
2. डेटा कलेक्शन के दौरान महिला टीम लीडर्स को अतिरिक्त फ़ील्ड मैनेजमेंट सहायता प्रदान करना सुनिश्चित करे:
एक अनुभवी महिला सर्वेक्षक के साथ चर्चा के आधार पर, हमने सीखा कि महिलाएं अक्सर नेतृत्व की भूमिका निभाने में हतोत्साहित होती है क्योंकि उन्हें लगता है, कि उनको नेतृत्व का पूरा काम बिना टीम के समर्थन के अकेले करना पड़ेगा अगर नहीं कर पाए तो उनको काम से निकल दिया जाएगा। इसलिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी हो जाता है कि, सर्वेयर भर्ती, ट्रेनिंग और डेटा संग्रह के दौरान महिला टीम के लीडर को क्लस्टर कोर्डिनेटर और सेंट्रल टीम से समर्थन मिले। इस तरह की पहल से महिला टीम लीडर के आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है और यह अन्य महिला सर्वेक्षकों के लिए प्रोत्साहन का काम भी कर सकती है।
हमारी पिछली परियोजनाओं में से एक परियोजना में, हमने क्लस्टर कोर्डिनेटर की भर्ती करते समय अनुभवी महिलाओं को काम पर रखने में कठिनाइयों का सामना किया। इस वजह से हमने आगे बढ़कर कम अनुभवी महिलाओं को काम पर रखा और उन्हें तकनीकी (गूगल शीट, एक्सेल इत्यादि) और फील्ड मैनेजमेंट (सर्वेयर भर्ती, सर्वेयर ट्रेनिंग, डेटा क्वालिटी) गतिविधियों पर अनुभवी क्लस्टर कोर्डिनेटरों व् फील्ड मैनेजर के द्वारा समय-समय पर क्षमता निर्माण सत्रों का आयोजन कराया। इस अभ्यास से उनके कौशल के साथ, धीरे-धीरे उनके आत्मविश्वास का निर्माण किया और परियोजना के अंत तक, उनमे से कुछ महिलाएं नेतृत्व जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से और सीमित/बिना समर्थन के संभालने में सक्षम थी। इनमें से एक महिला वर्तमान में हमारे प्रमुख डेटा ऑन डिमांड प्रोजेक्ट में क्लस्टर कोर्डिनेटर के पद पर कार्यरत है, जो अभी हिमाचल प्रदेश के जिलों में बड़े पैमाने पर डेटा कलेक्शन टीम का नेतृत्व करती है।
3. महिला टीम लीडर के प्रोफेशनल ग्रोथ पर ध्यान दे:
अपनी महिला टीम लीडरों के प्रोफेशनल ग्रोथ में निवेश करने के इच्छुक संस्थाए टीम मैनेजमेंट क्षमताओं का निर्माण करने के लिए सर्वेक्षक प्रशिक्षण के अंतिम दिन टीम लीडरशिप सत्र का आयोजन कर सकते हैं, ताकि महिलाएं डेटा संग्रह को प्रभावी ढंग से नेतृत्व कर सकें।
हमारे क्षमता-निर्माण सत्रों के माध्यम से, हमने देखा है कि कई महिला टीम लीडर अपनी तकनीकी और नेतृत्व क्षमताओं में सुधार प्रदर्शित किया हैं, और उन्होंने अपनी क्षमताओं में पर्याप्त आत्मविश्वास महसूस किया और भविष्य में क्लस्टर कोऑर्डिनेटर के पद पर कार्य कर पाने में सक्षम महसूस किया।
4. फील्ड टीमों में महिला नेतृत्व को अपनाने की संस्कृति का निर्माण करें:
ज्यादातर टीम लीडर, क्लस्टर कोऑर्डिनेटर, स्टेट कोऑर्डिनेटर जैसे लीडरशिप के पदों पर पुरुषों को देखना आम बात है, इसलिए पहली बार किसी महिला उम्मीदवार के लिए टीम लीडर्स की भूमिका में खुद की कल्पना करना मुश्किल लगता है। इससे महिलाओं में पदोन्नति के लिए आवेदन करने में हिचकिचाहट हो सकती है। इसलिए, फील्ड टीम में महिला लीडरशिप को अपनाने की संस्कृति को विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है जो कि महिलाओं में लीडरशिप में आने के लिए आत्मविश्वास पैदा करता है।
अध्ययन बताते है कि डेटा कलेक्शन के दौरान महिला लीडर के साथ सामना करने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने और समाधान विकसित करने में मदद करने के लिए पुरुषों (इस मामले में शायद पुरुष जो टीम लीडर, क्लस्टर को-ऑर्डिनेटर आदि हैं) को शामिल करे। इस तरह के सहयोगात्मक प्रयास पुरुषों को समानता के ‘द्वारपाल’ की तरह महसूस कराते हैं, और लैंगिक जानकारी और संवेदीकरण में झिझक कम करते हैं। इस तरह की चर्चाओं से एक लिंग संवेदीकरण मॉड्यूल के विकास की सुविधा भी मिल सकती है जिसे सभी सर्वेक्षक और पर्यवेक्षक प्रशिक्षणों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जा सकता है।
इसके अलावा, आवेदन प्रक्रिया के दौरान, महिला उम्मीदवारों को डेटा कलेक्शन के दौरान सेंट्रल टीम के द्वारा मिल सकने वाले समर्थन के बारे में आश्वस्त करना चाहिए। तथा पहले से लीडरशिप में काम कर रही महिला टीम लीडर के साथ एक व्यक्तिगत या वर्चूअल बैठक स्थापित की जानी चाहिए ताकि नए उम्मीदवारों के सभी प्रश्नों को हल किया जा सके और उन्हें प्रोत्साहन मिल सके।
संवेदनशील क्षेत्र सर्वेक्षण करने में प्रमुख चुनौतियों में से एक पूर्व तकनीकी और नेतृत्व कौशल वाली अनुभवी महिलाओं की पहचान करने और उन्हें खोजने की क्षमता है। हमें उम्मीद है कि इस ब्लॉग में साझा की गई कुछ युक्तियां संगठनों को महिला टीम के सदस्यों को गलतियां करने, सीखने और बढ़ने के लिए जगह प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी, और महत्वपूर्ण और संवेदनशील सर्वेक्षणों पर समर्थन करने के लिए उनकी नेतृत्व क्षमता का उपयोग करेंगी ।
मैं मनीष, नारायण, भगवान, मोईजुदीन, हरि राम, नरेश, विष्णु, सत्यनारायण, रामचरण, रामावतार, और ओम प्रकाश को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में IDinsight के साथ ज़िला कोर्डिनेटर के पद पर अपना काम करते हुए मुझे और नई महिला मॉनिटर और ज़िला कोर्डिनेटर का समर्थन किया। मैं आगे उन IDinsighters को भी धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने इस ब्लॉग की समीक्षा की और इनपुट प्रदान किए। धन्यवाद, अक्षिता शर्मा, अश्रुत तलवार, अक्षय महादेवन, बानो फातिमा, प्रमोद, वसुंधरा चौहान और एमिली कोपेल।
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